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ToggleDiwali 2024: कैसे मैं त्यौहार मनाऊं?
प्रियतम कैसे जश्न मनाऊं,
कैसे मैं त्यौहार मनाऊं,
है रिवाज तो ख़ुशी मनाना
पर दिल को कैसे समझाऊं.
कैसे मैं त्यौहार मनाऊं?
झिलमिल झिलमिल अट्टालिका,
जगमग करते ऊँचे बँगले,
थोड़ी दूर ग़ौर से देखो,
झोपड़ इक ढ़िबरी को तरसे.
दो चार दीपक ना जबतक,
आस पास हर घर में जला लूँ,
कैसे अपने घर को सजा लूँ?
कैसे मैं त्यौहार मनाऊं?
पकवानों से सजे थाल हैं
चमचम, मोतीचूर व मगदल,
मालपुए, कचौड़ी, पूरी,
नाना प्रकार के व्यंजन.
रुन्दन की आवाज़ आ रही,
भूखे चार दिनों से कुछ जन.
जब तक भूखे आस पास के बच्चे,
कैसे अपनी थाल सजाऊं?
कैसे मैं त्यौहार मनाऊं?
जश्न मनाओ हक़ है तुमको,
लेकिन ध्यान ज़रा ये रखना.
अगर पड़ोसी दुःखी कोई है,
क्या वाजिब हैं जश्न मनाना?
साथ उसे भी लेकर देखो,
मज़ा ख़ुशी का बढ़ जायेगा,
ऊपर वाला भी खुश होगा,
अंतर्मन भी खिल जायेगा.
आओ प्रियतम उन्हें बुलाएँ,
गीत ख़ुशी के साथ में गाएं.
पेश करें व्यंजन की थाली.
‘अमित’ मुबारक़ तुम्हें दीवाली.
A poem by Arvind Kumar Sinha “Amit”