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ToggleCrafting Verses by Neelam Negi : "कवित्री की कला: नीलम नेगी कि कविताओं का परिचय"
आज हम आप का परिचय कराते हैं अल्मोड़ा निवासी पूर्व प्राचार्य सुश्री नीलम नेगी (Neelam Negi), जिनकी बेबाक लेकिन सहृदय और भावनाओं से ओत प्रोत लेखनी हिन्दी के साथ साथ कुमायूनी भाषा में अपनी प्रतिभा की छाप छोड़ती है। आज श्रीमती नीलम नेगी किसी परिचय की मोहताज नही। उनकी एक पुस्तक मेरे एक मित्र और भाई श्री पवन कुमार जी ने पढ़ने को दी और उसे पढ़ने के बाद मैं इस पोस्ट को लिखने से अपने को नही रोक पाया। सुश्री नेगी की काव्य संग्रह “मन भँवर” पढ़ने के बाद सचमुच ये प्रतीत होता है कि इनकी रचनाएं आपके अंतर्मन को झिंझोरने और मन मस्तिष्क में भंवर उत्पन्न करने मे सक्षम रही हैं।
अल्मोड़ा की प्राकृतिक वादियों की ठंडी सुगंधित हवाएं कभी आपको हल्के से सहलाते हुए गुजरती महसूस होंगी तो वहीं जब वो देश के अन्नदाता किसानों के बारे मे लिखती हैं तो उनकी लेखनी की दृढ़ता कुछ और ही रंग दिखाती है। जब कोरोना महामारी और लॉक डाउन की बात करती हैं तो समाज मे चल रही इस महामारी का एक मार्मिक चित्रण करती हैं जो बरबस ही आँखों मे आँसू ले आते हैं। यही तो लेखनी का जादू है और इस जादूगरी में उन्हे महारत है। गद्य और पद्य दोनों पर ही समानता के साथ अपनी लेखन प्रतिभा को दर्शाती हैं।
“माँ तुम्हें अंतिम प्रणाम” और “भगवान हो गई तुम” में माँ के प्रति उनका आदर, प्रेम, सम्मान सहज है जो कि एक पुत्री का माँ के प्रति अगाध प्रेम दिखाता है।
“आज एक अनचाही अनजानी अनदेखी जंजीरों से, मुक्त हुई स्वयं औरों को भी बंधन मुक्त किया” में पता चलता है कि माँ अपनी बीमारी में कितनी बेबस रही होंगी। बहुत ही स्वाभाविक चित्रण प्रस्तुत किया है
भगवान हो गई तुम में उन्होंने माँ के पैरों से लाचार होने की बेबसी से मुक्ति कि बात कि है, तो साथ ही सुहागिन मृत्यु प्राप्त करने की जो नारी के मन में भावना होती है उसको भी प्रस्तुत किया है।
देश का किसान में उन्होंने अन्नदाता की हालत और व्यथा को बड़ी सहजता से मार्मिक रूप मे दर्शाया है। यह उनके जमीन से जुड़े होने की गवाही देता है साथ ही यह भी दर्शाता है की उनका कवि हृदय किसान की हालत देख कर कितना व्यथित है।
कोरोना का कहर में सुश्री नेगी ने अपने चारों ओर पसरे हुए मातम, सन्नाटे और भयानक मंज़र का सुंदर चित्रण किया है।
नजर से गिरा दिया, मेरी कर्म भूमि आदि रचनाओं मे उर्दू के सहज सुलभ शब्दों का अच्छा प्रयोग किया है।
अनलॉक, ये दौर भी, एक उम्मीद है आदि रचनाओं में कोरोना लॉकडाउन के बाद धीरे धीरे सुधरते हुए हालात के बारे में अपने मन की बात कहने का प्रयास किया है।
फिर से जगा दिया में हालांकि इन्होंने तो शिक्षकों की बात की है, जो कि सेवानिवृत्ति के बाद की स्थिति को प्रस्तुत करने का प्रयास किया है। परंतु मैं स्वयं सेवनिवृत हो चुका हूँ तो अपने साथ भी इसको जोड़कर देखता हूँ। एक भ्रांति है जो सेवानिवृत्ति के पश्चात व्यक्ति को चुका हुआ मान लेती है जबकि वास्तविकता में उसके अंदर प्रतिभा का अथाह भंडार होता है, बस उसको सही मार्ग मे चलते रहने कि आवश्यकता होती है। सुश्री नेगी को इस रचना के लिए साधुवाद।
रखना संभाल के, में सुश्री नीलम ने अपनी बनाई हुई विरासत को सहेजने, सजा के रखने और सुंदर बनाए रखने के लिए अपने नई पीढ़ी से आग्रह करती हैं। यह बहुत ही स्वाभाविक है कि जिस संस्था, समाज, परिवार को हम लंबे समय तक अपना योगदान देते रहते हैं तो एक सहृदयता, आत्मीयता, अपनापन हो जाता है, जिसे हम चाहते हैं कि हमारे न होने पर भी उसपर कोई आंच न आए।
संगम साहित्य सम्मान 2023, हिन्दी गौरव सम्मान (अंतर्राष्ट्रीय बुलंदी साहित्यिक सेवा समिति) से सुशोभित श्रीमती नीलम नेगी जी की रचनाओं को पढ़कर ही आप समझ सकेंगे कि इस सुदूर अल्मोड़ा के अंचलों में रहने वाली लेखिका ने समाज, परिवार और जीवन के अनगिनत पहलुओं का बहुत ही सहज और सुंदर चित्रण किया है।
इनकी अन्य प्रकाशित काव्य संग्रह रचनाएं हैं “अभिव्यक्ति”, “संवेदना”, “अंतरध्वनि”। साथ ही “अनुभूति” नाम से एक आलेख संग्रह भी प्रकाशित है।